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हीरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी

हीरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी

हीरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी | UPSC Compass

पृष्ठभूमि
द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण में, 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के शहर हीरोशिमा पर “लिटिल बॉय” नामक परमाणु बम गिराया। इसके मात्र तीन दिन बाद, 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर “फैट मैन” नामक दूसरा परमाणु बम गिराया गया। इन हमलों का उद्देश्य जापान को बिना शर्त आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करना था।
तत्काल प्रभाव
  • हीरोशिमा में लगभग 1,40,000 लोग और नागासाकी में लगभग 74,000 लोग मारे गए।
  • बमबारी से तापमान कुछ ही सेकंड में हजारों डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया, जिससे शहर राख में बदल गए।
  • विकिरण (Radiation) से हज़ारों लोग आने वाले वर्षों में कैंसर और अन्य बीमारियों से मरे।
दीर्घकालिक प्रभाव
  • सामाजिक: पीढ़ियों तक मानसिक आघात (Trauma) और विकलांगता का बोझ।
  • आर्थिक: दोनों शहरों का औद्योगिक व आर्थिक ढाँचा पूरी तरह नष्ट।
  • राजनीतिक: द्वितीय विश्व युद्ध का अंत तेज़ी से हुआ, लेकिन परमाणु हथियारों के उपयोग को लेकर नैतिक बहस शुरू हो गई।
नैतिक और मानवीय दृष्टिकोण
  • यह हमला इतिहास में पहली और अब तक आखिरी बार हुआ जब युद्ध में परमाणु हथियार का इस्तेमाल किया गया।
  • इससे स्पष्ट हुआ कि भविष्य के युद्धों में परमाणु हथियार मानवता के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।
  • 1945 के बाद से, परमाणु अप्रसार (Nuclear Non-Proliferation) और निरस्त्रीकरण (Disarmament) की वैश्विक कोशिशें शुरू हुईं।
UPSC के लिए प्रासंगिक बिंदु
  • GS-1 (विश्व इतिहास): द्वितीय विश्व युद्ध की घटनाएँ, उनके कारण और परिणाम।
  • GS-2 (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): परमाणु अप्रसार संधि (NPT), CTBT, और वैश्विक निरस्त्रीकरण प्रयास।
  • GS-3 (सुरक्षा): सामरिक संतुलन, परमाणु नीति, और भारत की “No First Use” पॉलिसी।
समकालीन संदर्भ
आज भी रूस-यूक्रेन युद्ध और कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव जैसे हालात यह याद दिलाते हैं कि परमाणु हथियार का खतरा केवल इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि वर्तमान का भी सच है।