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शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 – भारत, चीन और रूस की रणनीतिक एकजुटता

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 – भारत, चीन और रूस की रणनीतिक एकजुटता

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 – भारत, चीन और रूस की रणनीतिक एकजुटता | UPSC Compass

प्रसंग
तिआनजिन (चीन) में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साझा मंच पर रणनीतिक सहयोग और बहुपक्षीय एकजुटता का संदेश दिया। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंध वैश्विक राजनीति में प्रमुख कारक बने हुए हैं।
मुख्य बिंदु
  • रणनीतिक एकजुटता: तीनों देशों ने आतंकवाद-निरोध, ऊर्जा सुरक्षा, और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर समान दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
  • भारत की भूमिका: भारत ने “संतुलित विदेश नीति” को रेखांकित करते हुए—एक ओर अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग (जैसे युध् अभ्‍यास) और दूसरी ओर रूस-चीन के साथ रणनीतिक संवाद—दोनों को समानांतर रूप से आगे बढ़ाने पर बल दिया।
  • भूराजनीतिक संकेत: यह एकजुटता अमेरिका को यह संदेश देती है कि एशिया में वैकल्पिक शक्ति केंद्र भी मज़बूत हो रहे हैं।
  • आर्थिक आयाम: ऊर्जा सहयोग, कनेक्टिविटी परियोजनाओं और नए व्यापारिक मार्गों पर चर्चा की गई।
महत्व
  • भारत के लिए यह रणनीतिक संतुलन का उदाहरण है—जहाँ वह क्वाड और I2U2 जैसे पश्चिमी मंचों के साथ भी जुड़ा है, और SCO तथा BRICS जैसे पूर्वी मंचों में भी सक्रिय है।
  • यह सम्मेलन वैश्विक शक्ति-संतुलन की बहुध्रुवीय प्रकृति को और स्पष्ट करता है।
संभावित प्रभाव
  • भारत की कूटनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) को मज़बूती।
  • ऊर्जा, व्यापार और रक्षा सहयोग में नए अवसर।
  • परंतु, भारत-चीन सीमा विवाद और रूस–पश्चिम तनाव के बीच भारत के लिए संतुलन साधना चुनौतीपूर्ण रहेगा।
निष्कर्ष
SCO शिखर सम्मेलन में भारत, चीन और रूस की एकजुटता भारत की “बहु-संरेखीय विदेश नीति” (Multi-alignment) की झलक देती है। यह भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मज़बूत बनाता है, किन्तु जटिल वैश्विक शक्ति समीकरणों में सावधानीपूर्वक संतुलन की आवश्यकता बनी रहती है।