क्यों चर्चा में
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नेपाल राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है
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पीएम के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दिया
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हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं
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पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली
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यह स्थिति भारत की पड़ोसी प्रथम नीति (Neighbourhood First Policy) के लिए रणनीतिक परीक्षा है
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भारत को अपने हितों की रक्षा करनी है
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हस्तक्षेप की धारणा से बचना है
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चीन नेपाल में अपना प्रभाव गहरा कर रहा है
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नेपाल का राजनीतिक संकट: भारत की पड़ोसी प्रथम नीति की परीक्षा
1. भारत–नेपाल संबंध
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भू-सामरिक महत्व
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भारत और नेपाल की 1,770–2,000 किमी लंबी खुली सीमा
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वस्तुओं और लोगों की मुक्त आवाजाही → राजनीतिक अस्थिरता का सीधा असर भारत की सुरक्षा पर
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सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध
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साझा हिंदू–बौद्ध धरोहर
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मधेसी आबादी के साथ मजबूत जन–जन संपर्क
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गोरखा रेजिमेंट भारतीय सेना में सेवा करते हैं
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आर्थिक परस्पर निर्भरता
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भारत = नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और निवेशक (≈60% व्यापार)
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ईंधन, दवाइयाँ और बिजली की आपूर्ति
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एफडीआई का प्रमुख स्रोत
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जलविद्युत कूटनीति
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सीमा पार बिजली व्यापार समझौते लागू
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भारत अपर कर्णाली और अरुण–III जैसी परियोजनाओं में निवेश करता है
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सुरक्षा हित
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राजनीतिक शून्यता से संभावित खतरे:
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सीमा पार तस्करी
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नकली मुद्रा नेटवर्क
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चीन की मौजूदगी में वृद्धि (BRI के तहत)
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2. नेपाल में चीन का बढ़ता प्रभाव
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बीआरआई निवेश
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बुनियादी ढांचा: राजमार्ग, हवाई अड्डे, तिब्बत–काठमांडू रेलवे
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राजनीतिक प्रभाव
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बीजिंग सभी प्रमुख नेपाली दलों से संबंध बनाए रखता है
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सीपीएन में आंतरिक विवादों में मध्यस्थता की
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सॉफ्ट पावर विस्तार
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चीनी भाषा का प्रसार
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कन्फ्यूशियस संस्थान, छात्रवृत्तियाँ, मीडिया प्रचार
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भारत के लिए सुरक्षा चिंताएँ
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चीन की मौजूदगी सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) के पास चिंता बढ़ाती है
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3. भारत के लिए चिंताएँ
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राजनीतिक अस्थिरता
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17 वर्षों में 14 सरकारें
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बार-बार गिरती सरकारें द्विपक्षीय सहयोग बाधित करती हैं
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भारत-विरोधी भावना
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2015 नाकाबंदी जैसी घटनाओं से जुड़ी
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भारतीय हस्तक्षेप की धारणा से अविश्वास, खासकर युवाओं में
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चीन कारक
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हिमालयी भू-राजनीति में बीजिंग की रणनीतिक गहराई
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सीमा प्रबंधन समस्याएँ
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खुली सीमा से:
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अवैध प्रवास
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हथियारों की तस्करी
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आतंकवादी घुसपैठ की संभावना
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आर्थिक असर
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संकट से भारत-निधारित परियोजनाएँ प्रभावित:
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रेल लिंक
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एकीकृत चेक पोस्ट (ICPs)
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ऊर्जा गलियारे
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4. भारत के लिए चुनौतियाँ
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संतुलित जुड़ाव
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अधिक जुड़ाव = “बड़े भाई” की छवि
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कम जुड़ाव = चीन के लिए अवसर
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युवाओं से दूरी
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राजशाही के बाद की पीढ़ी (Gen Z) भारत-विरोधी कथाओं से प्रभावित
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संघीय राजनीति
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केवल काठमांडू से परे जुड़ाव की ज़रूरत
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प्रांतों, मधेस नेताओं और नए राजनीतिक पात्रों से संवाद
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आर्थिक कमजोरियाँ
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राजनीतिक अस्थिरता से प्रभावित:
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सीमा पार व्यापार
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सीमा पार जलविद्युत परियोजनाएँ
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प्रेषण प्रवाह
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सुरक्षा और शरणार्थी जोखिम
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संकट गहराने पर शरणार्थी प्रवाह संभव
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चीनी खुफिया गतिविधियों के लिए बढ़ती जगह
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5. भारत के लिए आगे का रास्ता
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कूटनीतिक जुड़ाव
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उभरते नेताओं और प्रांतों से संबंध मजबूत करना
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ट्रैक 1.5 और ट्रैक 2 संवाद का उपयोग
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आर्थिक कूटनीति
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सीमा अवसंरचना और ICPs में तेजी लाना
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रेल संपर्क परियोजनाएँ: जयनगर–बारदिबास, रक्सौल–काठमांडू
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ऊर्जा सहयोग
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जलविद्युत परियोजनाओं का विस्तार
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त्रिपक्षीय बिजली व्यापार (भारत–नेपाल–बांग्लादेश) को बढ़ावा
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जन–जन संपर्क पहल
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छात्रवृत्तियाँ, सांस्कृतिक परिपथ (जैसे रामायण परिपथ), पर्यटन लिंक
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युवाओं में भारत-विरोधी कथाओं का मुकाबला
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रणनीतिक धैर्य
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राजनीतिक व्यक्तियों का खुलकर समर्थन करने से बचना
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संस्थानों, दीर्घकालिक साझेदारी और लचीलापन निर्माण पर ध्यान
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निष्कर्ष
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नेपाल का संकट भारत की पड़ोसी प्रथम नीति के लिए चुनौती और अवसर दोनों है
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भारत को संतुलित और बहुआयामी रणनीति अपनानी होगी
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आर्थिक परस्पर निर्भरता, युवा-केंद्रित पहल और ऊर्जा साझेदारी अहम होंगी
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स्थिर, लोकतांत्रिक और समृद्ध नेपाल अंततः भारत के हित में है ताकि हिमालय में चीन के प्रभाव का संतुलन बना रहे