क्यों समाचार में
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वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बढ़ रहा है
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आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के अनुसार, 2060 तक प्लास्टिक कचरा तीन गुना होकर 1.2 बिलियन टन तक पहुँच जाएगा
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यह एक बड़ा पारिस्थितिक और स्वास्थ्य संकट पैदा करेगा
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संकट का पैमाना
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तेजी से वृद्धि
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2000–2019 के बीच वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन दोगुना हो गया
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मुख्य रूप से पैकेजिंग और त्वरित खपत उत्पादों के कारण 460 मिलियन टन तक पहुँचा
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खराब पुनर्चक्रण
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केवल 9% प्लास्टिक का पुनर्चक्रण होता है
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अधिकांश लैंडफिल, नदियों और खुले डंप में चला जाता है
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सामुद्रिक प्रदूषण
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हर साल लगभग 1.1 करोड़ टन प्लास्टिक महासागरों में पहुँचता है
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समुद्री जीवन को नुकसान पहुँचाता है और खाद्य श्रृंखला को दूषित करता है
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सूक्ष्म प्लास्टिक
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प्लास्टिक टूटकर सूक्ष्म और नैनो कणों में बदल जाता है
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मिट्टी, हवा, पानी और यहाँ तक कि मानव रक्त और फेफड़ों में भी पाया गया है
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भविष्य का अनुमान
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यदि तत्काल सुधार नहीं किए गए तो 2060 तक प्लास्टिक कचरा लगभग तीन गुना हो जाएगा
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इससे वैश्विक कचरा प्रबंधन प्रणाली ठप हो जाएगी
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प्लास्टिक प्रदूषण की मुख्य समस्याएँ
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स्थायित्व
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प्लास्टिक को विघटित होने में सैकड़ों वर्ष लगते हैं
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पारिस्थितिक तंत्र में स्थायी संचय होता है
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जलवायु पर प्रभाव
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प्लास्टिक उत्पादन और जलाने से वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 3.4% योगदान होता है
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जलवायु परिवर्तन को और बिगाड़ता है
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जैव विविधता की हानि
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कछुए, समुद्री पक्षी और मछलियाँ प्लास्टिक निगल लेते हैं
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भूख, विषाक्तता और प्रजनन हानि का कारण बनता है
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मानव स्वास्थ्य जोखिम
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प्लास्टिक में मौजूद कार्सिनोजेन और हार्मोन अवरोधक जैसे विषैले रसायन भोजन और पानी में मिल जाते हैं
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प्रजनन क्षमता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और समग्र स्वास्थ्य पर असर डालते हैं
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आर्थिक नुकसान
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समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण हर साल लगभग 13 अरब डॉलर का नुकसान करता है
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मत्स्य पालन, शिपिंग और पर्यटन उद्योग प्रभावित होते हैं
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प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने की पहल
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वैश्विक प्रयास
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संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा संधि (2022): 193 देशों ने 2024 तक प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि पर काम करने पर सहमति जताई
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सतत विकास लक्ष्य: प्लास्टिक में कमी से SDG 12 (जिम्मेदार खपत), SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) और SDG 14 (जल के नीचे जीवन) को समर्थन मिलता है
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परिपत्र अर्थव्यवस्था: दुनिया भर में पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण और पुन: डिज़ाइन को बढ़ावा देने वाले अभियान चल रहे हैं
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भारतीय प्रयास
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प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 और 2022: कुछ एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध और उत्पादक जिम्मेदारी लागू
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स्वच्छ भारत मिशन 2.0: पूर्ण कचरा संग्रहण, पृथक्करण और उचित प्रसंस्करण पर ध्यान
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प्लास्टिक सड़कें: भारत में 1.2 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कें अपशिष्ट प्लास्टिक से बनी हैं, जिससे बिटुमेन की बचत हुई और सड़क की टिकाऊपन बढ़ी
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संकट से निपटने में भूमिका
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व्यक्ति
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स्ट्रॉ, बोतलें और थैलियों जैसे एकल-उपयोग प्लास्टिक से बचें
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घर पर कचरे को गीले और सूखे में अलग करें ताकि पुनर्चक्रण आसान हो
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पर्यावरण अनुकूल ब्रांड और पैकेजिंग को समर्थन दें
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समुदाय और समाज
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समुद्र तट, नदियों और पार्कों में सामूहिक सफाई अभियान आयोजित करें
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प्लास्टिक बैंक बनाएं जहाँ लोग अपशिष्ट प्लास्टिक देकर पुरस्कार प्राप्त कर सकें
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निजी पुनर्चक्रकों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर स्थानीय कचरा प्रबंधन सुधारें
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सरकारें
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प्रतिबंधित प्लास्टिक के खिलाफ सख्त कानून बनाएँ और लागू करें
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कंपनियों को इस्तेमाल की गई पैकेजिंग वापस लेने और पुनर्चक्रण लक्ष्य पूरा करने के लिए मजबूर करें (विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी)
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लैंडफिल और दहन पर कर लगाएँ और पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग व अनुसंधान पर सब्सिडी दें
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आगे का रास्ता
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6R का पालन करें: Refuse, Reduce, Reuse, Recycle, Recover, Redesign
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परिपत्र अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ें, ऐसे उत्पाद डिज़ाइन करें जिन्हें पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण किया जा सके
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जैव-आधारित और खाद बनने योग्य प्लास्टिक तथा उन्नत पुनर्चक्रण तकनीकों के अनुसंधान में निवेश करें
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पंचायतों और शहरी निकायों जैसी स्थानीय सरकारों को धन और अधिकार देकर कचरा प्रबंधन सुदृढ़ करें
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मीडिया अभियानों और प्रभावशाली व्यक्तियों के जरिए शून्य-प्लास्टिक जीवनशैली को लोकप्रिय बनाकर व्यवहारिक बदलाव को प्रोत्साहित करें
निष्कर्ष
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प्लास्टिक प्रदूषण एक मानव-निर्मित आपदा है जो जलवायु, जैव विविधता और मानव स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है
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इसे केवल सरकारों, उद्योगों, समुदायों और व्यक्तियों के संयुक्त प्रयासों से ही रोका जा सकता है
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पर्यावरण न्याय और सतत विकास के लिए प्लास्टिक-मुक्त भविष्य आवश्यक है