परिचय
ज्ञान भारतम मिशन भारत सरकार की एक राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य देश की विशाल पांडुलिपि धरोहर का संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार करना है।
-
यह मिशन 2025–26 के केंद्रीय बजट में घोषित किया गया था।
-
इसका उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुलभ बनाना है।
मुख्य उद्देश्य
-
पहचान और दस्तावेज़ीकरण:
-
राज्यों में पांडुलिपि रिसोर्स सेंटर स्थापित कर पांडुलिपियों की पहचान और सूची तैयार करना।
-
-
संरक्षण और पुनर्स्थापन:
-
पांडुलिपियों के संरक्षण और मरम्मत के लिए विशेष सुविधाओं का निर्माण।
-
-
डिजिटलीकरण और उपलब्धता:
-
राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी बनाकर पांडुलिपियों को ऑनलाइन उपलब्ध कराना।
-
-
अनुसंधान और शिक्षा:
-
पांडुलिपियों पर शोध को बढ़ावा देना और इसे शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करना।
-
-
सार्वजनिक जागरूकता और भागीदारी:
-
कार्यशालाएँ, सेमिनार और प्रदर्शनी आयोजित करके पांडुलिपि धरोहर के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
-
कार्यान्वयन रणनीति
-
बजट आवंटन:
-
2024–31 के लिए ₹482.85 करोड़ का प्रावधान, जिसमें चालू वित्त वर्ष के लिए ₹60 करोड़ निर्धारित।
-
-
तकनीकी एकीकरण:
-
पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण के लिए एआई, क्लाउड रिपॉजिटरी और बहुभाषी प्लेटफॉर्म का उपयोग।
-
-
सहयोग:
-
शैक्षणिक संस्थानों, पुस्तकालयों और सांस्कृतिक संगठनों के साथ भागीदारी।
-
महत्त्व
-
सांस्कृतिक संरक्षण:
-
भारत की समृद्ध बौद्धिक और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखना।
-
-
शैक्षणिक संसाधन:
-
शोध और शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण संसाधन उपलब्ध कराना।
-
-
वैश्विक पहुंच:
-
भारत की पांडुलिपि धरोहर को वैश्विक स्तर पर सुलभ बनाना।
-
-
तकनीकी उन्नति:
-
पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर अतीत और भविष्य के बीच पुल बनाना।
-
चुनौतियाँ और विचारणीय पहलू
-
संसाधन सीमा:
-
मिशन के उद्देश्यों के लिए पर्याप्त धन और अवसंरचना सुनिश्चित करना।
-
-
तकनीकी विशेषज्ञता:
-
डिजिटलीकरण और संरक्षण के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल का विकास।
-
-
सार्वजनिक भागीदारी:
-
पांडुलिपियों के संरक्षण और साझा करने में जनता की सक्रिय भागीदारी।
-
-
स्थिरता:
-
सतत वित्तीय सहायता और समर्थन के माध्यम से मिशन की दीर्घकालीन स्थिरता।
-
निष्कर्ष
ज्ञान भारतम मिशन भारत की पांडुलिपि धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
-
पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक के संयोजन से यह मिशन आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत की बौद्धिक विरासत को सुरक्षित करेगा।
-
इसके सफल कार्यान्वयन, सहयोग और सार्वजनिक भागीदारी पर मिशन की सफलता निर्भर करेगी।