क्यों चर्चा में
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प्रधानमंत्री जन धन योजना ने 28 अगस्त 2025 को 11 वर्ष पूरे किए।
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यह दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम बन गया है, जिसमें भारत के लगभग 100 प्रतिशत घरों और 90 प्रतिशत से अधिक वयस्कों के पास अब बैंक खाता है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना के बारे में
शुरुआत
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2014 में उन लोगों के लिए सार्वभौमिक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच प्रदान करने हेतु शुरू की गई, जिनके पास बैंक खाता नहीं था।
मुख्य उद्देश्य
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शून्य-बैलेंस बचत बैंक खाते
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रुपे डेबिट कार्ड
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बीमा कवरेज
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पेंशन योजनाएँ
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सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण
अन्य लाभ
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स्थानीय महाजनों और अनौपचारिक ऋण स्रोतों पर निर्भरता कम हुई।
11 वर्षों में प्रगति
खातों की वृद्धि
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2015 में केवल लगभग 15 करोड़ खातों की तुलना में 56.2 करोड़ से अधिक खाते खोले गए।
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यह दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम बन गया।
लैंगिक समावेशन
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56 प्रतिशत खाते महिलाओं के नाम पर हैं।
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महिलाओं को वित्तीय निर्णय लेने में सशक्त बनाया।
ग्रामीण पहुंच
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37.5 करोड़ खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से हैं।
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16.2 लाख बैंकिंग संवाददाता (बैंक मित्र) गाँवों में घर-घर पर बैंकिंग सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
जमा विस्तार
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खातों में कुल शेष राशि ₹2.68 लाख करोड़ है, जो 2015 की तुलना में 17 गुना अधिक है।
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लाभार्थियों में बचत की आदत बढ़ने का संकेत।
डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र
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38.7 करोड़ से अधिक रुपे कार्ड वितरित किए गए।
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यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन की वृद्धि का समर्थन किया।
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डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत किया।
प्रधानमंत्री जन धन योजना का प्रभाव
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण
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रसोई गैस, पेंशन और कोविड-19 राहत भुगतान जैसी सब्सिडी सीधे लाभार्थियों तक पहुँची।
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बिचौलियों को खत्म किया और भ्रष्टाचार कम किया।
संकट में सहयोग
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2016 में विमुद्रीकरण के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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कोविड-19 महामारी के दौरान करोड़ों गरीब परिवारों तक धनराशि जल्दी पहुँचाने में मदद की।
वित्तीय सुरक्षा
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बीमा योजनाओं से जुड़ा:
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प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
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प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
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पेंशन योजना से जुड़ा:
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अटल पेंशन योजना
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असंगठित क्षेत्र को सामाजिक सुरक्षा जाल प्रदान किया।
गाँवों में बैंकिंग पहुंच
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आज 99.9 प्रतिशत गाँवों में बैंकिंग सुविधाओं की पहुँच है।
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बैंक शाखा, बैंकिंग संवाददाता या इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक आउटलेट पाँच किलोमीटर के भीतर उपलब्ध है।
समस्याएँ और चुनौतियाँ
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बड़ी संख्या में खाते निष्क्रिय हैं, नियमित उपयोग कम है।
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कई खाता धारकों को औपचारिक ऋण सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं और वे अब भी माइक्रोफाइनेंस समूहों या महाजनों पर निर्भर हैं।
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छोटे कस्बों और गाँवों में डिजिटल विभाजन जारी है क्योंकि:
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स्मार्टफोन का स्वामित्व कम है
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डिजिटल साक्षरता की कमी है
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योजना से जुड़ी बीमा और पेंशन योजनाओं के बारे में जागरूकता की कमी है।
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खाते अधिकतर सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, पर निवेश या उद्यमिता जैसे उत्पादक उद्देश्यों के लिए कम।
आगे की राह
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निष्क्रिय खातों को पुनः सक्रिय करना:
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जागरूकता अभियान आयोजित कर
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नियमित लेनदेन के लिए प्रोत्साहन देकर
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छोटे ऋण और सूक्ष्म ऋण जोड़कर खातों को ऋण सुविधाओं से जोड़ना ताकि उद्यमिता को बढ़ावा मिले।
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स्थानीय भाषाओं में और समुदाय-स्तरीय पहलों के माध्यम से वित्तीय साक्षरता अभियान मजबूत करना।
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कम साक्षर और स्मार्टफोन न रखने वाले लोगों तक पहुँचने के लिए वॉइस-आधारित और कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित बैंकिंग उपकरण विकसित करना।
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जन सुरक्षा बीमा योजनाओं और पेंशन कवरेज का विस्तार कर अधिक असंगठित श्रमिकों तक पहुँचाना।
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जन धन शेष राशि का उपयोग प्रोत्साहित करना:
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बचत के लिए
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निवेश जैसे लघु बचत योजनाओं और म्यूचुअल फंड में
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निष्कर्ष
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प्रधानमंत्री जन धन योजना दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम है, जिसने सब्सिडी वितरण को बदल दिया और गरीब तथा हाशिए पर रहने वाले परिवारों को सशक्त बनाया।
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अगले दशक में ध्यान होना चाहिए:
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बचत, ऋण और बीमा के लिए खातों के सक्रिय उपयोग को बढ़ाने पर
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वित्तीय साक्षरता सुधारने पर
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तकनीक का उपयोग कर वित्तीय पहुंच बढ़ाने पर
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जन धन खातों को समावेशी विकास और सामाजिक सुरक्षा का वास्तविक साधन बनाने पर
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